हाँ मुझको भी कुछ बनना है
आँखों में मेरी ख्वाब बहुत....
नींदों बिन काटी रात बहुत....
उस आसमान में बैठे उन..
तारों से आगे बढ़ना है...
हाँ मुझको भी कुछ बनना है।
पूरे सबके अरमान किये...
बस रिश्तों की खातिर ही जिए...
पर अब अपने अरमानों के...
हर हक को हासिल करना है...
हाँ मुझको भी कुछ बनना है।
कभी बेटी थी,फिर बहू बनी...
फिर माँ बन पाई सभी ख़ुशी...
पर अब अपनी तकदीर को...
अपने ही हाथों से लिखना है..
हाँ मुझको भी कुछ बनना है।
जिसने देखी सूरत ही मेरी...
सीरत मेरी पहचानी नहीं....
हर शिखर को हासिल करके मुझे...
उन सबकी सोच बदलना है...
हाँ मुझको भी कुछ बनना है।
हाँ मुझको भी कुछ बनना है।।
-नितिका
No comments:
Post a Comment