Saturday 21 June 2014

रिश्ते

रिश्ते 

रिश्ते ये कैसे रिश्ते हैं,
कुछ साथ रहे कुछ धुआँ हुए ,
कुछ साथ रहे पर ऐसे कि,
जैसे वो खुद ही खुदा हुए। 
रिश्ते क्यों जुड़ते टूटते हैं,
क्यों चलते उम्र तमाम नहीं,
जिन रिश्तों में था प्यार कभी,
क्यों उनका नामों-निशान नहीं। 
जो भरे सिर्फ कड़वाहट से,
क्यों बंधना उनसे पड़ता है,
उन रिश्तों का अस्तित्व है क्यों,
जिनमें भावों  की जड़ता है। 
इस दिल बस ये चाहत है,
ये हर पल बस ये दुआ करे,
इस दिल से जुड़े जो रिश्ते हों,
वो मुझसे कभी ना जुदा रहें। 
                             

                                      -नितिका 

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